–Written By Arun Mishra
चंन्द्रयान 2 2.1 किमी के बाद विक्रम का संपर्क टूटा, इसरो में छाई हुई है मायूसी
भारत चांद की सतह पर इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ा है, लेकिन चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से आर्बिटर का संपर्क टूट गया। इसके बाद इसरो को सिग्नल मिलना बंद हो गए। इससे इसरो में मौजूद तमाम लोगों के माथे पर चिंता की लकीरे खिंच गई है। हालांकि अभी फाइनल अपडेट का इंतजार है।
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि लैंडर से आर्बिटर का संपर्क टूटा। लैंड होने की जगह से 2.1 किमी पहले लैंडर से आर्बिटर का संपर्क टूटा। हालांकि अभी डेटा का इंतजार है। इस दौरान वहां मौजूद पीएम मोदी ने इसरो चेयरमैन की पीठ थपथपाई और कहा कि देखिए जीवन में उतर चढ़ाव आते रहते है। ये कोई छोटा या हल्का अचीवमेंट नहीं है। देश आप पर गर्व करता है। फिर से कम्युनिकेशन शुरू हुआ तो अब भी उम्मीद बची है। मेरी तरफ से वैज्ञानिकों को बधाई, आप लोगों ने विज्ञान और मानव जाति की बहुत बड़ी सेवा की है। मैं पूरी तरह आपके साथ हूं हिम्मत के साथ चलें।
इसके बाद पीएम मोदी ने वहां मौजूद 60 बच्चों के सवालों का भी जवाब दिया और उन्हें अपना लक्ष्य निर्धारित करते हुए धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने की सीख दी। उन्होंने कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है।
इससे पहले 1.43 बजे विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इसके बाद उसने लैंडिंग का रफ ब्रेकिंग फेज व फाइनल ब्रेकिंग फेज भी सफलता पूर्वक पूरा कर लिया था, लेकिन कुछ देर बाद ही उसका आर्बिटर से सम्पर्क टूट गया। इसके बाद से ही सभी चेहरों पर चिंता की लकीरे खिंच गई।
आपको बताते चले कि 38 जगह थे 37 छोड़ सबसे मुश्किल वाला भारत ने चुना था। बचे जो 37 थें उनमें भी 52% का सक्सेज रेट है।
ध्यान देने योग्य बात ये है कि अंतरिक्ष मे रूस के 50 में से 25 मिशन फेल हुए थे। रूस के अभियानों के खर्च डेढ़ से ढाई लाख करोड़ रुपये रहा।
लगभग यही हाल नासा का भी रहा। जबकि नासा ने अपने अंतरिक्ष अभियानों पर 7 लाख करोड़ से ज्यादा का खर्च किया।
अभी इसी साल की शुरुआत में तकनीकी में महारत हासिल इस्राएल का चंद्रमा का मिशन फेल हुआ था। हालांकि यह इजराइल सरकार का नही बल्कि वहां की कुछ कम्पनियों के मिशन था।
यूरोपीय स्पेस एजेंसी के साथ जापान भी चांद पर जाने की कोशिश तो करता रहा लेकिन पहुँच नही पाया।
वही भारत ने पहले तो सफल प्रक्षेपण किया। उसके बाद लैंडर भी सही तरह से ऑपरेट हुआ। बस अंतिम के 2.1 km की दूरी से पहले उसका सम्पर्क ऑर्बिटर से टूट गया। यहाँ चन्द्रयान 2 की लागत की बात करना भी जरूरी है जो 950 करोड़ के आस पास थी साथ ही भारत ने पहली ही बार में ही सबसे मुश्किल दक्षिणी ध्रुव की तरफ लैंडिग को चुना।
इसरो ने इस मिशन में 8 सेंसर भेजे थे जिसमें से एक से सम्पर्क अभी टूट गया है बाकी 7 चंद्रमा की कक्षा में काम कर रहे है। वो सभी 7 सेंसर ऑर्बिटर 1 साल तक कक्षा में रहकर आंकड़े जुटाएगे। करीबन 95% तक ये मिशन पूरी तरफ सफल रहा। बाकी हो सकता कि लैंडर से सम्पर्क हो जाये और अगर सही लैंड किया होगा तो ये मिशन पूरी तरह 100% सफल हो जाएगा।
इसलिए इसरो ने जो कठिन राह चुनी थी। उसमें इतनी सफलता भी बहुत है। आगे के लिए ये सब अनुभव का काम करेंगे।
हम आशा करते हैं कि लैंडर विक्रम के साथ फिर से सम्पर्क जुड़ जाए ।
Excellent