जामिया मिल्लिया इस्लामिया के परिसर के बाहर उसी के हिन्दू छात्रों ने विश्वविद्यालय में भेदभाव का आरोप लगाते हुए मंगलवार शाम प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन जामिया से निकट सराय जुलैना के चौक से संस्थान के गेट नंबर 7 तक निकाला गया। इसमें छात्रों ने जामिया में एक धर्म-विशेष छात्रों के खिलाफ भेदभाव और बुरे व्यवहार का आरोप लगाया। इनके अनुसार, जामिया में हिन्दू छात्रों के खिलाफ राजनीतिक दृष्टि से समय-समय पर अमानवीय व्यवहार एवं उनके राजनीतिक विचारों के लिए निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने बताया कि जामिया में गैर-मुस्लिम छात्रों के खिलाफ प्रताड़ना तथा कुछ अवसर पर उन्हें लाभकारी अकादमिक गतिविधियों से दूर रखने की कोशिशों और मार-पीट का भी आरोप लगाया।
उन्होंने आगे कहा कि प्रदर्शन के बाद, उनको लेकर लगातार गलत बाते फैलाई जा रही है, जिसमें की उनका पक्ष भी नहीं सुना गया और इस प्रदर्शन में किसी भी तरह के सांप्रदायिक नारे या वक्तव्य नहीं बोलने की बात की। उन्होंने कहा, “जामिया में हमारे शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद, हमें सुने बगैर हमारे खिलाफ दुष्प्रचार तेज़ी से हो रहा है, जिसको लेकर हम चिंतित है। अब प्रदर्शन में शामिल हमारे कुछ साथियों को जामिया नहीं आने की भी धमकियाँ मिल रही है। हम जामिया प्रशासन से अनुरोध करते है कि सभी को अपनी बात कहने का पूरा हक़ होता है, जिसे हमने भी शांतिपूर्ण ढंग से किया। अब जामिया प्रशासन अपने इन सभी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।”
इसके अलावा छात्रों ने जामिया में जिन्ना समर्थकों पर भी निशाना साधते हुए देश के खिलाफ मनोबल तोड़ने जैसा कुछ न बोलने या समर्थन ना करने की हिदायत की। बता दे कि पिछले साल जब जामिया में हिन्दू छात्रों ने परिसर में दिवाली का आयोजन किया, तो वहाँ की लॉ फैकल्टी के कुछ छात्रों ने उनसे मारपीट की थी, जिसके बाद पुलिस में मामला दर्ज किया गया।
बहरहाल, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में कट्टरपंथी छात्र एवं इस्लामिक संगठन इस प्रदर्शन के विरोध में आ गए हैं। प्रदर्शन करने एवं आवाज़ उठाने वाले छात्रों को धमकियाँ भी मिलनी शुरू हो गई हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि जामिया में पढने वाले अल्पसंख्यक हिन्दू छात्र अपनी आवाज़ उठाने लगे हैं, एवं कैंपस में पहली बार वैकल्पिक नैरेटिव शुरू हुआ है। वहीँ, हर ओर आवाज़ उठाने वाले छात्रों के साहस की प्रशंसा हो रही है। कैंपस क्रॉनिकल से बात करने पर जामिया, जे।ऐन।यू।, दिल्ली विशाविध्यालय एवं अन्यान्य सैक्षानिक संस्थानों के प्राध्यापकों ने प्रदर्शन पर ख़ुशी व्यक्त की है और कहा है कि इससे जामिया विश्वविद्यालय का लोकतंत्रीकरण होगा क्योंकि विश्वविद्यालय में पहली बार एक वैकल्पिक विमर्श, ‘अल्टरनेटिव नैरेटिव’ शुरू हुआ है।