रुप सुन्दरता से भरता है ये बात तुम्हारी करता हैं यें हाथ तुम्हारे मेहंदी के है कंगन हाथ जो बजते हैं //1// उन आँखो में जो कजरा हैं इस सीमन्त पर सिन्दूर लगा पकड़ पिया का आंगन अब बाबुल को अकेला छोड़ दिया //2// उस घर की यादों पर परदा अब डाल दिया नई यादो…
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