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वर्तमान समय में देशभक्ति

अगर किसी से हम यह पूछे कि समय क्या है ? तो उसका उत्तर होगा ढाई बजे हैं, या तीन बजे हैं l या वह उचित समय कि वर्तमान स्थिति को बताएगा जो उस क्षण घड़ी में होगी l लेकिन वास्तव में समय क्या है? तो इसका उत्तर है ” अस्तित्व कि सम्पूर्ण यात्रा में भूत, वर्तमान, भविष्य कि घटनाओं का होना और अनिश्चितकाल से लगातार प्रगति करना l ” वास्तव में वर्तमान अतीत कि कढ़ियों कि श्रृंखला है l और अगर वर्तमान में हम देशभक्ति कि बात करें तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी वर्तमान स्थिति अतीत कि देन है और भविष्य हमारे वर्तमान कि कोख से निकलेगा क्यों कि यह सब कुछ समय का खेल है l इसलिए वर्तमान में देशभक्ति का आधार अतीत होना चाहिए और लक्ष्य उज्ज्वल भविष्य का निर्माण l

देश क्या है यह सबको पता है l व्यक्तियों के बीच स्थापित, एकात्मता, आत्म-संबंध से देश बनता है l किंतु भक्ति क्या है? भक्ति का अर्थ है परम प्रेम + सेवा करना, जिसमें परम का अर्थ है वह जिसकी किसी और से तुलना न की जा सके l देशभक्ति का अर्थ हमेशा से यही रहा है, और देश के लिए कार्य करने वाले को देशभक्त कहते हैं l और भक्त तो साधु है l और जो देशभक्त नहीं है या साधु नहीं है वह दुष्ट है l मत्स्य पुराण में लिखा है देवता दो कार्य के लिए अवतार लेते हैं

  • दुष्ट का नाश करने के लिए l
  • साधु पुरुष कि रक्षा करने के लिए l

भारत देश ने सदैव विश्व-शांति, सर्व के सुख-निरोग्य-कल्याण , शांति के लिए कार्य किया और प्रार्थना की l किंतु वर्तमान समय में प्रमुख चुनौती भारत को नष्ट करने के लिए लंबे समय से कार्य कर रही हैं l कुछ शक्तियाँ भूमंडलीकरण,बाजार ,विश्व-परिदृश्य में एकाधिपत्य , राजनीत, के माध्यम से दूसरें देशों कि सभ्यता नष्ट कर के उन्हें सांस्कृतिक और सभ्यात्मक रूप से उपनिवेश बनाने के कार्य में लगी हुई हैं l जिनसे निपटना ही समय में देशभक्ति का परिचायक है l इसलिये हमे दुष्ट और साधु शक्तियों को समझने कि आवश्यक है l

भक्ति के विलोम एक शब्द है आसक्ति जिसका अर्थ है किसी के आधीन हो जाना l इसलिए देशभक्ति किसी के आधीन नहीं होती l तो कृपया देशभक्ति को किसी विशेष राज्य के प्रति समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से आधीन न समझे अगर आधीन है तो वह देशआसक्ति है देशभक्ति नहीं l

भक्ति के दो पुत्र कहे गए हैं ज्ञान और वैराग्य l भारत देश का निर्माण ज्ञान ने ही किया है और उस निर्माण को आकार दिया था इस भूमि के लोगों के वैराग्य ने l वैराग्य का अर्थ है राग से अलग होना यानि चलते हुए प्रचलन से, आसाक्ति से, अलग हटकर चलना और धर्म, देश के लिए कार्य करना l वर्तमान में भारत का निर्माण तभी हो सकेगा जब व्यक्ति देश एवं धर्म हेतू विशेष कार्य के लिए वैराग्य धारण करेंगे l

इन्फ़ोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति ने एक किताब लिखी Better India जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष के उन दिनों का वर्णन किया जब वह फ़्रान्स में थे l उसमें वह लिखते हैं कि भारत और फ़्रान्स के लोगों में जो फ़र्क है, प्रगति के प्रति सोच का है l भारत का व्यक्ति सोचता है कि सरकार उसके लिए क्या कर रही है? और फ़्रान्स का व्यक्ति सोचता है वह अपने देश के लिए क्या कर रहा है l इतिहास में भारत के लोगों ने भी अपने कर्तव्य के प्रति स्वयं को सम्पूर्ण रूप से समर्पित कर इस देश को विश्व-गुरु बनाया था l और उसके बाद विश्व में जो भी वैश्विक शक्ति उभरी चाहे वह ब्रिटिश हो, अमेरिकी हो, जापानी हो या चाईनिज हो l सब के पीछे केवल उस देश के व्यक्तियों का योगदान था और है l और उसके पीछे केवल एक सपना और उद्देश्य है कि वो अपने देश कि ध्वजा विश्व-शिखर पर लहराना चाहते हैं l वर्तमान में हमारी देशभक्ति का उद्देश्य यही होना चाहिए कि हम देश के लिए क्या करें? जिससे भारत को विश्व का सबसे महानतम राष्ट्र बनाया जा सके l

देशभक्ति केवल राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान , राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह, महापुरुष, मातृभूमि के प्रति सम्मान एवं गौरव तक ही सीमित न रहे l वर्तमान में ऐसी देशभक्ति कि आवश्यक है जो यह कह सके मैं भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व कि सर्वशक्तिशाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तत्पर हूँ, ऐसी देशभक्ति जो कह सके मुझे भारतीय संस्कृति और धर्म को पश्चिम जगत के समाज में स्थापित करना है l ऐसी देशभक्ति जो विश्व भर के विचार का केंद्र भारत को बनाए l ऐसी देशभक्ति जो उन्हें नष्ट कर दे जो धर्म और राष्ट्र पर संकट बने बैठे है l 21वीं सदी सभ्यताओं का युद्ध है और और इसे विश्व भर में भारतीय संस्कृति, परंपरा, विचार को स्थापित कर के जीता जाएगा l

गरीब का आर्थिक स्तर ऊपर उठाने सेे, झोपड़ी को पक्के मकान में बदलने से, गली-मोहल्लों कि स्वच्छता, किसान को खाद,बीज, पानी पहुंचाने से, निरक्षर को शिक्षा देने से, कुपोषण को दूर करने से, समाजिक-न्याय को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने से, बीमार को स्वास्थ्य सेवा का लाभ पहुंचाने से बड़ा देशभक्ति का कार्य अभी कोई नहीं है l

अगर एक तमिल भाषी हिन्दी बोलता है, और हिन्दी भाषी तमिल, या भारत के एक क्षेत्र का व्यक्ति दूसरे क्षेत्र कि भाषा परंपरा का प्रचार करता है तो वह एकात्मता स्थापित कर रहा है l और अगर वह तमिल या हिन्दी भाषा का रह कर दूसरे कि भाषा नहीं भी जानता तब भी वह भारतीय एकात्मता को जी रहा है l यह भी देशभक्ति है l

वर्तमान में हम देशवासी केवल इतना समझ ले कि हम सिपाही हो या न हो, हमें देश के लिए लड़ना है, अगर लड़ नहीं सकते तो सेवा करना है, सेवा नहीं कर सकते तो कुछ लिखना है, अगर लिख नहीं सकते तो पढ़ना और सत्य लोगों तक पहुँचाना है, और पढ़ न पाए तो उनकी मदद करना है जो कुछ कर रहें है, और अगर यह भी न कर पाए तो तो चुप रहना है उनका मनोबल नकारात्मकता से नहीं भरना है जो कुछ कर रहें है l क्योंकि चुप रहना भी देशभक्ति है l

Saurabh Garg

Writer, Reader, Swayamsevak

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