शुक्रवार, 16 नवंबर 2018 : दुनिया-भर के पर्यटकों के बीच एक अनोखी पहचान रखने वाले देश के रूप में भारत अब अपने ग्रामीण परिवेश को भी इसी कड़ी में जोड़ने की दिशा में प्रयास कर रहा है। इसी के तहत, राजधानी दिल्ली स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की सहायता से देश के ग्रामीण इलाकों में स्थित, पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने के लिए गुरुवार, 15 नवंबर 2018 से शनिवार, 17 नवंबर 2018 के बीच, अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में पूरे भारत सहित 25 अन्य देशों से पर्यटन जगत के उद्यमी एवं विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया, जिसका उद्घाटन पूर्व केन्द्रीय पर्यटन सचिव विनोद जुत्शी, केन्द्रीय ग्रामीण-विकास मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव, डॉ. नागेश सिंह एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव, ए. पी. सिद्दीकी द्वारा किया गया।
इस तीन-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य, दुनिया के हर कोने से भारत आने वाले सैलानियों के बीच, यहाँ के शहरी पर्यटन की तरह, ग्रामीण क्षेत्रों की ऐतिहासिक महत्ता, रहन-सहन, संस्कृति, साहित्य, पहनावा और भोजन इत्यादि को भी पर्यटन के रूप में विकसित करके, वैश्विक स्तर पर प्रचलित करने की योजनाओं और नीतियों पर चर्चाएँ की गई। वहीं देशभर में पर्यटन-शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों में सर्व-प्रथम जामिया मिल्लिया इस्लामिया की इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की अनोखी बात यह थी कि इसका आयोजन पूरी तरह प्लास्टिक-रहित किया गया। आयोजन में चाहे नाम की पट्टियाँ हो, पीने के गिलास, खाने की प्लेट सहित, प्रतिभागियों को दिए जाने वाले सम्मान-चिह्न एवं फाइल-फोल्डर इत्यादि भी प्लास्टिक की जगह, जामिया के फाइन-आर्टस के छात्रों द्वारा जैव-वस्तुओं से निर्मित, सामग्री का प्रयोग हुआ था। कार्यक्रम में आयोजकों द्वारा प्लास्टिक-रहित व्यवस्था करने के पीछे वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को देखते हुए करने का निश्चय किया। इसी प्रकार विदेशों से कार्यक्रम में हिस्सा लिए अतिथियों को भारतीय ग्रामीण जीवन से परिचित कराते हुए विश्वविद्यालय परिसर में एक विशेष ‘जामिया विलेज’ भी स्थापित किया गया। इस विलेज में छात्रों द्वारा बाँस से बनाई गई एक कुटिया, जिसे लकड़ी की टोकरियों, रंग-बिरंगे पर्दों, झालरों एवं लालटेन से सजाया गया, उसमें विदेशी प्रतिभागियों को वास्तविक भारतीय ग्रामीण जीवन का अनुभव प्रदान कराते हुए, उसमें बैठने के पारंपरिक मोढ़े सहित, ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी अन्य लोक-प्रचलित वस्तुओं, खाद्य व्यंजनों एवं सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रस्तुत किया गया।
इस तीन-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के मौके पर पूर्व केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव, डॉ. नागेश सिंह ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की पर्यटन संभावनाओं से ग्रामीण-विकास होने की कामना की। साथ ही उन्होंने पर्यटन को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम बताया, जिसमें ग्रामीण पर्यटन को निर्णायक भूमिका अदा करने वाले क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत किया। वहीं पूर्व केन्द्रीय पर्यटन सचिव, विनोद जुत्शी ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को पर्यटन के लिए अपार संभावनाओं से पूर्ण माना जिसमें अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने दूसरे देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत अपने ग्रामीण जीवन के दर्शन में अन्य देशों से काफी अनोखा है, जिसे विदेशी पर्यटक अपनी भारत यात्रा के दौरान अवश्य देखने की इच्छा रखते हैं। इसके अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव, ए. पी. सिद्दीकी ने ग्रामीण पर्यटन के विकास को ग्रामीण-सशक्तिकरण के होने की बात कहीं जिसमें ग्रामीणों को शहर आने के बजाए, गाँवों में ही बेहतर रोज़गार के अवसर प्रदान होंगे।