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Author: Babli Kumari

पर्यटन पर्व 2018

मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। देश-विदेश की यात्रा की ललक के पीछे भी मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ही काम करती आई है। यदि मनुष्य चाहता तो वह घर बैठे ही पुस्तकों द्वारा यह जानकारी प्राप्त कर लेता। किंतु पुस्तकों से प्राप्त जानकारी का आनंद कछ ऐसा ही है जैसे किसी चित्र को देखकर…

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सुभद्रा कुमारी चौहान

“सिंहासन  हिल  उठे,  राजविंशों  ने  भृकुटि  तानी  थी, बूढ़े  भारत  में  आयी  फिर  से  नई  जवानी  थी, गुमी  हुई  आज़ादी  की  कीमत  सब  ने  पहचानी  थी, दूर  फिरिंगी  को  करने  की  सब  ने  मन  में  ठानी  थी, चमक  उठी  सन  सत्तावन  की  वह  तलवार  पुरानी  थी, बुिंदेले  हरबोलों  के  मुख  हमने  सुनी  कहानी  थी, खूब  लड़ीमर्दानी …

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