हाय गायज़! (अंग्रेज़ी शब्द हाय व गायज़) आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा अभिवादन हुआ। लेकिन ‘नमस्कार’ पढ़ कर आपकी रूचि इस लेख से चली न जाए इसलिए लेखक को ऐसा करना आवश्यक लगा। दरअसल नमस्कार बोलना हमने सीखा ही नही। बचपन में जब माता जी पी.टी.एम. में साथ जाया करती थी तो टीचर […]
Read Moreबुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय मध्यकालीन भारत में सामाजिक चेतना को जगाने वालों में से एक कबीरदास भक्तिकाल के ऐसे कवि रहे हैं जो समाज को एक नई दिशा देने की कोशिश की । कबीर के जन्म को लेकर कई किवदंतियां हैं । […]
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