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Literature

Redeeming the Redemptor; The Ramakrishna-Vivekananda Way

The Young disciples of Sri Ramakrishna Paramhamsa ; consecrated souls like a spectra of pearls in a necklace held together by the thread of their master’s teachings, and with the illustrious life of  their leader Narendranath who described them the glories of Monastic life, were all committed to their expedition towards the light. The ground…

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अथ श्री भारत कथा

भारत कहानी प्रधान देश है,जो भारतीय भाषाओं को निरंतर समृद्ध करतीं हैं। भारत में सर्वाधिक भाषाएँ (भिन्न बोलियों को न जोड़ें तो भी) प्रचलन में हैं, उससे कहीं अधिक विस्तृत भारत का कहानी संग्रह है।गद्य श्रेणी के निबंधो, प्रतिवेदन, भाष्यों, लेखों, व्यंग्यों, अध्ययन लेखों से इतर सही अर्थों में भाषा को समृद्ध कहानी ही करती है। निबंध,सम्पादकीय, भाष्य इत्यादि को रोचक बनाने…

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The One Name That Will Be Taken Whenever a Bhajan Will Be Sung: Vinod Agarwal

9 November In my childhood, Krishna was never a master of intellect as he is for me presently but a vague village guy who always played with the village girls. But a Sunday morning I remember, on the Aastha channel a man was singing Krishna bhajans with immense devotion. He started crying while singing and the…

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Atal Chirantan Smritika

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नही, जिन्दगी सिलसिला है,आज कल की न्हीI.                                                                                      -श्री अतल बिहारी वाजपेयी   Late Shri Atal Bihari Vajpayee was a human with extra ordinary abilities and candour and an international leader, transcending all limitations to earn reverence, even from his adversaries. His contribution to nation building is immeasurable….

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The Metamorphosis by Franz Kafka

Die Verwandlung popularly known as The Metamorphosis is a classic Kafka Originals. Franz Kafka, the German-language novelist, and short story writer is considered as one of the most influential wordsmith of the early twentieth century. The Metamorphosis by this weird literary Genius is an account of the traveling salesman (Gregor Samsa) who wakes up one…

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आज की भाषा

ट्रेंड्ज़ के चलते भाषा का स्वरुप तेज़ी से बदलता जा रहा है| अब वह समय गया जब ‘दूरदर्शन’ या ‘आकाशवाणी’ पर बोले जाने वाली भाषा को आम भाषा कहा जाता था ,अब तो उस भाषा को ‘अति –कठिन’ माना जाता है | यूँ तो बहुभाषिक होना एक गुण होता है परन्तु हर भाषा में अन्य…

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महाकवि प्रसाद ( 30 जनवरी, 1890- 15 नवंबर,1937)

चंद्रशेखर आजाद : मुझे लगता है कि मैं आपको हर बार मुश्किल में डाल देता हूँ , प्रसाद जी । जयशंकर प्रसाद : भारत को आजाद कराने के लिए पंडित चंद्रशेखर जो लड़ाई लड़ रहा है उसमे जो कुछ भी सहयोग कर सकूँ तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा । आप संकोच न करे इस…

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सुभद्रा कुमारी चौहान

“सिंहासन  हिल  उठे,  राजविंशों  ने  भृकुटि  तानी  थी, बूढ़े  भारत  में  आयी  फिर  से  नई  जवानी  थी, गुमी  हुई  आज़ादी  की  कीमत  सब  ने  पहचानी  थी, दूर  फिरिंगी  को  करने  की  सब  ने  मन  में  ठानी  थी, चमक  उठी  सन  सत्तावन  की  वह  तलवार  पुरानी  थी, बुिंदेले  हरबोलों  के  मुख  हमने  सुनी  कहानी  थी, खूब  लड़ीमर्दानी …

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‘माँ’ की इच्छा के बिना ‘मातृभाषा’ कैसे?

हाय गायज़! (अंग्रेज़ी शब्द हाय व गायज़) आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा अभिवादन हुआ। लेकिन ‘नमस्कार’ पढ़ कर आपकी रूचि इस लेख से चली न जाए इसलिए लेखक को ऐसा करना आवश्यक लगा। दरअसल नमस्कार बोलना हमने सीखा ही नही। बचपन में जब माता जी पी.टी.एम. में साथ जाया करती थी तो टीचर…

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कबीरदास : जीवन परिचय (1398- 1518 ईसवीं)

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय मध्यकालीन भारत में सामाजिक चेतना को जगाने वालों में से एक कबीरदास भक्तिकाल के ऐसे कवि रहे हैं जो समाज को एक नई दिशा देने की कोशिश की । कबीर के जन्म को लेकर कई किवदंतियां हैं ।…

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PREMCHAND

David Rubin says, “To Premchand belongs the distinction of creating the genre of the serious short-story and the serious novel as well-in both Hindi and Urdu.” (The World of Premchand. Oxford, 2001.) Premchand, who is originally known as Dhanpat Rai Srivastava was born on 31st July 1880 in Benaras (at present, Varanasi). Earlier he used…

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राहुल सांकृत्यायन : महापंडित मुसाफ़िर

9 अप्रैल,1893 को आजमगढ़ के पन्दहा नामक छोटे से गांव में जन्मे राहुल सांस्कृत्यायन को हिंदी यात्रा वृत्तांत के पितामह के रूप में याद किया जाता है | अपने मूल नाम केदारनाथ पांडेय को त्याग कर इन्होने अपनी गोत्र सांस्कृत्य द्वारा पहचाना जाना ज़ादा उचित समझा | 4 भाइयों और एक बहिन में जयेष्ठ हिंदी…

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