“तुझपे कोई ग़म की आंच आने नहीं दूँ ,कुर्बान मेरी जान तुझपे शाद रहे तू ….ऐ वतन …मेरे वतन …” आजकल हर किसी जुबान और whatsapp स्टेटस पर यह गाना सुन ने को मिल ही जाता है,देशभक्ति से जुडी फिल्में बनाने का प्रचलन बढ़ने के साथ देशभक्ति के गानों का दौर फिर लौट कर आ…
कहाँ से आता ,कहाँ को जाता, किसका कूड़ा?किसका कूड़ा? तेरा कूड़ा,तेरा कूड़ा, कोई न कहता मेरा कूड़ा दाएँ कूड़ा-बाएँ कूड़ा , नुक्कड़ और गलियों का कूड़ा, हाय रे! कूड़ा! हाय रे! कूड़ा! कूड़े पर मक्खियों का डेरा , मच्छरों ने भी डाला घेरा , गड्ढों और नाली का कूड़ा, कोई न कहता मेरा कूड़ा, मच्छरों…
ट्रेंड्ज़ के चलते भाषा का स्वरुप तेज़ी से बदलता जा रहा है| अब वह समय गया जब ‘दूरदर्शन’ या ‘आकाशवाणी’ पर बोले जाने वाली भाषा को आम भाषा कहा जाता था ,अब तो उस भाषा को ‘अति –कठिन’ माना जाता है | यूँ तो बहुभाषिक होना एक गुण होता है परन्तु हर भाषा में अन्य…
हिंदी साहित्य जगत के महान कवि, कथाकार, निबंधकार, संपादक “अज्ञेय” का जन्म 7 मार्च 1911 को कुशीनगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई तथा बचपन में उन्होंने संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी भाषाओं को पढ़ा। आगे चल कर उन्होंने बी. एससी की तथा अंग्रेजी विषय में शिक्षा प्राप्त की। संपादक तथा…
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