–Written By Sushant Dogra A Heartfelt letter from a brother to another Dear brothers in J&K, I address you this letter in the capacity of a son of the common soil that bore us all for centuries and also on behalf of millions of citizens of this country welcome you all on board of this…
— Written By Natbar Rai सरल शब्दों में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. भारतवर्ष में यह पर्व श्रद्धा पूर्वक मानते हैं. ‘गु’ का अर्थ – अंधकार या अज्ञान तथा ‘रु’ का अर्थ – प्रकाश या ज्ञान है. गुरु हम सब को प्रकाशित करते हैं. गुरु परम्परा भारत में…
–Written By Dr Rajesh Ganesh Parthsarthi स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत की परिकल्पना भी चिकित्सकों द्वारा समाज के स्वास्थ्य की चिंता व महत्त्वपूर्ण योगदान के बगैर संभव नहीं है। जब चिकित्सक समस्त मानव जाति को स्वस्थ रखने के लिये हिपोक्रेटिक ओथ लेते हैं तब उनके सोच से भी यह बात परे होती है कि खुद उन्हें…
— Written By CV Srikar Article 370 was like the old furniture in one’s house: It was of no use; the furniture occupies unnecessary space; but you are lazy enough not to think of it and throw it away. Article 370 was the filter that kept equality, justice and peace away from Jammu and Kashmir….
— Written By Chandan Shubham Imprisoned in a gold cage or unconditional freedom! If these two options are in front, what will you choose? Freedom, of course! The fundamental need of human life and a birthright as believed and professed by Lokmanya Tilak. Freedom to dream and freedom to fulfill them. Independent individuals make an…
–Written By चन्दन शुभम सोने के पिंजड़े में क़ैद होना या बेशर्त आज़ाद होना! ये दो विकल्प सामने हों तो आप क्या चुनेंगे? निःसंदेह आज़ादी। मानव जीवन की मूल जरुरत है आजादी। सपने देखने की आज़ादी, उनको पूरा कर सकने की आज़ादी। व्यक्तिगत आज़ादी समाज को आज़ाद करती है, और सामाजिक आज़ादी देश को। जब…
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