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युवा कविता 4 – छोटे शहर का लड़का

‘विश्व कविता दिवस’ के अवसर पर कैंपस क्रॉनिकल को बड़ी संख्या में कवितायेँ प्राप्त हुईं. कैंपस क्रॉनिकल की संपादकीय टीम ने ‘युवा कविता श्रृंखला’ के अंतर्गत उनमें से अधिकतर को हमारे मंच पर स्थान देने का प्रयास किया है. हम आशा करते हैं कि सुधि पाठक युवा कवि/कवियित्रियों का उत्साहवर्धन करेंगे और उन्हें नई बेहतरीन रचनाओं हेतु प्रेरित करेंगे. प्रस्तुत है –

छोटे शहर का लड़का,
बड़े (दिल्ली) शहर में आया है।
शहर बेसक छोटा था उसका,
ख्वाब बड़े लेकर आया है।।

कभी E=MC^2 की रट लगाने वाला लड़का,
अब धाराओं की रट लगा रहा है।
कहने का मतलब Science वाला‍ लड़का अब,
कानून (law) की पढ़ाई करने लगा है।।

कभी Engg. की ख्वाब देखी थी उसने,
पर शायद नियति ने उसे यहां लाया है।

अब किसी Silicon valley की बजाय,
तिलक मार्ग तक पहुंचने के रास्ते तलाशने लगा है।
छोटे शहर का लड़का,
ख्वाब बड़े देखने लगा है।।

ख्वाबों का पीछा करते-करते,
रातों को बड़ा करने लगा है।
छोटे शहर का लड़का,
अब अपने ख्वाब भी बड़े करने लगा है।।

अपनों से कोसों दूर रहकर,
अब अपनों को बेहतर समझने लगा है।
तभी तो उनके लिए कुछ करने का जुनून,
अब प्रण में बदलने लगा है।।

नए लोग, नई भाषाएं, नई संस्कृति, नई विचारधाराओं से मिलने जुलने लगा है,
असल मायनों में भारत को अब वो जानने लगा है।
अब उसके सोचने विचारने का दायरा बढ़ने लगा है,
इसीलिए तो अब वो खुद को छोटे शहर का नहीं,
बल्कि भारतवासी बोलने लगा है।

– मंजीत कुमार

Campus Chronicle

YUVA’s debut magazine Campus Chronicle is a first of its kind, and holds the uniqueness of being an entirely student-run monthly magazine.

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