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Day: December 26, 2017

ढांचे की आत्मा

रविवार का दिन, इम्तिहान समाप्त हो चुके थे तो शाम में कुछ करने को ज्यादा था नहीं। आश्रम से आ चुके थे और सूर्य भी ढलने को आ रहा था, काफी समय हो चला था तो सोचा आज चर्च होकर आया जाए। वस्त्र बदलने की ज़रूरत थी नहीं, कुर्ता सही ही मालूम पड़ता था, अब…

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